हमारे बारे में

 लगभग 30 साल पहले 1980 के समय में जब तीर्थ यात्रा करना लोगो के लिए बहुत मुश्किल काम था और जो लोग एक बार करके आ गए वो अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझते थे |

उसी समय गाँव का एक साधारण सा लड़का अपनेसपने को पूरा करने अपनी पढाई पूरी करने के  लिए हरिद्वार निकल चुका था | उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल थी  पढाई के साथ अपनी फीस के पैसों  की व्यवस्था करना और अपने गुजर बसर की वयवस्था करना|

लेकिन कहते हैं की अगर किसी काम को मन से ठान लिया जाये तो परमात्मा की शक्ति भी हमारी सहायक बन जाती है, वो साधारण सा लड़का सुबह अखबार बांटने जाने से लेके फिर अपनी पढाई करने और फिर शाम को टॉफ़ी की दुकान करने लगा और इसी तरह लघभग 5 साल काम किया और commerse में ग्रेजुएशन में आ गया | लेकिन शायद समय को कुछ और ही मंजूर था | और कुछ इस तरह की परिश्थितियां बदली की उनको अपनी पढाई छोडनी पड़ी |

घर की परिश्तितियो के कारण उन्होंने अपना खुद का व्यापार शुरू किया लेकिन उनके साधारण और दयालु स्वभाव के कारण उनका काम ज्यादा नहीं चला |

कहते हैं की परमात्मा ने हम सभी को हमारे ही अनुसार काम दे रखे हैं और अगर धैर्य रखा जाये तो हमको एक दिन हमारे स्वभाव के अनुसार काम मिल ही जायेगा, बस तलाश करते रहना और कर्म करना हमारा काम है |

  उस लड़के के साथ भी यही हुआ, उसको सबसे ज्यादा  सुख अपने माँ बाप की सेवा करने में मिलता था और धार्मिक स्वभाव उनको अपने माँ बाप से मिला | उन्होंने देखा की उस समय लोगो को तीर्थ  यात्रा करना बहुत मुश्किल काम था | हर व्यक्ति चाहता था की वो तीर्थ यात्रा करे या अपने माँ बाप को करवाये लेकिन ज्यादा संसाधन और सुविधाये नहीं होने के कारण ये बस सपना ही रह जाता था | तो उन्होंने सबसे पहले अपने माँ बाप और कुछ लोगो को तीर्थ यात्रा करवाई | उनको उसमे इतना आनंद आया और लोगो की दुआ मिली की उन्होंने उस काम को अपना बना लिया |

फिर 1986 में  ऋषिकेश से यात्रिओं को यात्रा करवाने का काम शुरू किया और देखते ही देखते काफी लोग जुड़ते चले गए |

 

 26 नवम्बर 1993 को पहली अपनी पर्सनल तीर्थ यात्रा स्पेशल बोगी लेके गया | ये लड़का कोई और नहीं बल्कि श्री मोहन चतुर्वेदी थे जिन्होंने ‘जय भोले शंकर तीर्थ यात्रा कंपनी’ के संचालक हैं और Hindaun City निवासी हैं | 2014 तक Hindaun City हेड ऑफिस से कंपनी का नाम पूरे देश में विख्यात हो रहा था | राजस्थान, म.प्र., उ.प्र., हिमाचल और कुछ अन्य राज्यों से लोग जुड़ते जा रहे थे | समय की मांग को देखते हुए 2015में जयपुर हेड ऑफिस बन गया |  आज जय भोले शंकर तीर्थ यात्रा परिवार  55000 लोगोका हो चुका है और हर दिन नए सद्दस्य जो हमारे साथ यात्रा में जाके आ गए हैं वो हमारे परिवार में जुड़ते जा रहे हैं |

 

आज उनकी लक्ष्य में उनके बेटे कृष्ण चतुर्वेदी भी जुड़ चुके हैं और उनके साथ में अपने पिताजी के पदचिन्नौ पे चलते हुए हेड ऑफिस जयपुर और 3 अन्य ऑफिस (कोटा, भीलवारा और मंदसौर ) के साथ में कंपनी को संचालित कर रहें हैं | जिनकी मुख्य जिम्मेदारी यात्रियों की सुविधाओ को और बढ़ाना है |

हमारा मुख्य लक्ष्य आपको या आपके परिवआर जनो को बहुत आरामदायक तरीके से यात्रा सफल बनाना है | और जब तक परमात्मा की शक्ति हमारे साथ है तब तक हम इसी पथ पर निरंतर बढते रहेंगे |